सुंदरकांड का पाठ

ग्रह दोष दूर करने के लिए करें सुंदरकांड का पाठ

सुंदरकांड का पाठ – शास्‍त्रों के अनुसार सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करवाने से जीवन की बड़ी से बड़ी मुश्किल से छुटकारा पाया जा सकता है।

माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से भक्‍तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पौराणिक ग्रंथों में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग और पुण्‍य देने वाली है। सुंदरकांड में श्रीराम के परम भक्‍त हनुमान जी के गुणों और उनकी जीवन गाथा के बारे में बताया गया है।

सुंदरकांड पाठ करने के लाभ

अगर आप किसी बड़ी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ करके जाएं। छात्रों को सुंदरकांड का पाठ करने से परीक्षा में सफलता मिलती है। इस पाठ को करने से विद्यार्थियों के मन में आत्‍मविश्‍वास और मनोबल बढ़ता है जो उन्‍हें सफलता के करीब लेकर जाता है। सुंदरकांड के पाठ की पंक्‍तियों में जीवन की सफलता के सूत्र बताए गए हैं जो आपको भी सफलता प्राप्‍त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

सुंदरकांड के पाठ का सही समय

सुंदरकांड का पाठ हमेशा घर के किसी सदस्‍य को ही करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ करने से घर-परिवार से नकारात्‍मक शक्‍तियों का नाश होता है और सकारात्‍म ऊर्जा का प्रवाह होता है।

ग्रह दोष होते हैं दूर

ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने से घर के सभी सदस्‍यों के ऊपर मंडरा रहे कूपित ग्रहों के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलता है। अगर आप स्‍वयं यह पाठ नहीं कर सकते तो घर के सभी सदस्‍यों को साथ बैठकर सुंदरकांड का पाठ सुनना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ करने से अशुभ ग्रहों का दोष दूर होता है।

ऐसे करें सुंदरकांड का ये पाठ

शनिवार और मंगलवार के दिन सुंदरकांड का ये पाठ करने से सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है। किंतु आवश्‍यकता होने पर कभी भी आप इसका पाठ कर सकते हैं। पाठ करने से पहले स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और इसके बाद अपने घर के मंदिर में चौकी पर हनुमान जी की तस्‍वीर स्‍थापित करें और खुद भी आसन ग्रहण करें।

अब हनुमान जी की तस्‍वीर के आगे फूल, फल, तिल और चंदन से पूजन करें। अगर हनुमान मंदिर में सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं जो हनुमान जी की प्रतिमा के आगे चमेली का तेल मिश्रित सिंदूर भी चढ़ाएं।

शुद्ध घी का दीपक जलाएं और गणेश जी, शिव-पार्वती और श्रीराम, माता सीता एवं लक्ष्‍मण जी के साथ हनुमान जी को भी प्रणाम करें और अपने गुरुदेव एवं पितृदेवों का स्‍मरण करें। इसके पश्‍चात् मन में हुनमान जी को स्‍मरण करते हुए सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें और इसके पूर्ण होने पर हनुमान जी की आरती करेंऔरप्रसाद का भोग लगाएं।

सुंदरकांड का ये पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी कष्‍टों से छुटकारा मिलता है।

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