सूर्य देव की आराधना

सूर्य की उपासना से अनेक रोगों से मिलती है मुक्ति !

सूर्य देव की आराधना – सनातन धर्म में पांच देवी-देवताओं की आराधना को महत्‍वपूर्ण बताया गया है।

इन पांच देवी-देवताओं में श्रीगणेश, मां दुर्गा, भगवान शिव, विष्‍णु जी और सूर्य भगवान की उपासना को श्रेष्‍ठ बताया गया है। इन सभी देवी-देवताओं में केवल सूर्य देव ही ऐसे हैं जिनका साक्षात् दर्शन मिलता है।

यदि एक भी दिन सूर्योदय ना हो तो पृथ्‍वी का संचालन और मनुष्‍य का जीवन दोनों ही खतरे में पड़ जाएंगें।

सूर्य देव की आराधना से ना केवल मन और आत्‍मा को शांति मिलती है बल्कि सूर्य की किरणों से शारीरिक और मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं।

सूर्य देव की आराधना करने का प्रमुख नियम है कि इनकी पूजा करने के लिए आपको सूर्योदय से पूर्व ही उठना चाहिए।

ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान के पश्‍चात् साफ वस्‍त्र धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्‍य अर्पित करें। सूर्य के सम्‍मुख होकर जल अर्पित करने से जल की धारा के अंतराल से सूर्य की किरणों का सकारात्‍मक प्रभाव शरीर पर पड़ता है। इस दौरान सूर्य की किरणें शरीर पर पड़ने से उसके सारे कीटाणु नष्‍ट हो जाते हैं और शरीर में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है।

सूर्य की किरणें शरीर, मन और मस्‍तिष्‍क पर बहुत गहरा प्रभाव डालती हैं। इसकी तेज रश्मियों से मन को शक्‍ति मिलती है।

सूर्य देव को अर्घ्‍य दो तरह से दिया जा सकता है। अगर संभव है तो किसी जलाशय या नदी के जल में खड़े होकर तांबे के पात्र से सूर्य देव का अर्घ्‍य दें। तांबे के पात्र में शुद्ध जल भरें और इसे अपने मस्तिष्‍क के ऊपर से ले जाकर स्‍वयं के सामने की ओर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं।

सूर्य को अर्घ्‍य देने की दूसरी विधि अत्‍यंत सरल है। इसमें आप कहीं से भी या किसी भी स्‍थान से सूर्य देव को जल अर्पित कर सकते हैं। सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का ही प्रयोग करें। तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें चावल, फूल और चंदन डालें। अब इसे अपने मस्तिष्‍क के ऊपर से ले जाकर स्‍वयं के सामने की ओर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं।

इन बातों का रखें ध्‍यान

सूर्य देव को आप जो जल अर्पित करें वो आपके पैरों के नीचे नहीं आना चाहिए। इसके लिए नीचे कांसे या तांबे की थाली रख लें। अर्घ्‍य देने के पश्‍चात् थाली में जो जल एकत्र होता है उसे अपने माथे, ह्रदय और दोनों बाहों पर लगाएं।

यदि आपको जीवन में असफलताओं या कष्‍टों का सामना करना पड़ रहा है तो आप प्रतिदिन ‘आदित्‍य ह्रदय स्‍तोत्र’ का पाठ करें। निरोगी व्‍यक्‍ति को भी सूर्य की आराधना से रोगों से सुरक्षा मिलती है।

Share this post