इस मंदिर में अपने आप टूट जाते हैं 7 चावल के कलश

भारत जैसे धार्मिक देश में चमत्‍कारों की कमी नहीं है. भारत के कई मंदिर और धार्मिक स्‍थल अपने दिव्‍य चमत्‍कारों के लिए प्रसिद्ध हैं. इन्‍हीं में से एक है ओडिशा का जगन्‍नाथ मंदिर. हर साल जगन्‍नाथ पुरी में भव्‍य रथयात्रा निकाली जाती है. इस रथयात्रा को देखने के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु यहां आते हैं.

रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ इस यात्रा पर निकलते हैं. रथयात्रा में सुंदर वस्‍त्रों और आभूषणों से सजे जगन्‍नाथ भगवान, बलराम जी और उनकी बहन सुभद्रा का सौंदर्य भक्‍तों के मन को मोह लेता है.

 

 

 

सात कलशों में पकता है चावल

जगन्‍नाथ पुरी में रथयात्रा के साथ ही दो दिवसीय मेले की भी शुरुआत हो जाती है. मेले के दूसरे दिन इस मंदिर की रसोई में एक के ऊपर एक 7 कलशों में चावल पकाया जाता है. पकने के बाद इन कलशों को भगवान जगन्‍नाथ, बलराम जी और सुभद्रा देवी को प्रस्‍तुत किया जाता है. इन कलशों में भोजन पकाने वाले लोगों का कहना है कि चावल पकाने वाले ये सात कलश अपने आप ही चार समान भागों में टूट जाते हैं. मान्‍यता है कि इस तरह तीनों भगवान अपने हिस्‍से का भोजन बांट लेते हैं. बाद में इस प्रसाद को भक्‍तों में बांट दिया जाता है.

रथ की ऊंचाई है अद्भुत

रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्‍नाथ, बलराम जी और देवी सुभद्रा को अलग-अलग तीन रथों में स्‍थापित किया जाता है. बलराम जी के रथ का रंग लाल और हरा होता है एवं इसे तालध्‍वज के नाम से जाना जाता है. वहीं देवी सुभद्रा का रथ काले, नीले और पीले रंग का होता है जिसे दर्पदलन और पद्म रथ कहा जाता है. वहीं भगवान जगन्‍नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है एवं इसे नंदीघोष या गरुड़ध्‍वज कहा जाता है. जगन्‍नाथ भगवान के रथ की ऊंचाई 45.6 फीट, बलराम जी के रथ की ऊंचाई 45 फीट और देवी सुभद्रा के रथ की ऊंचाई 44.6 होती है. साथ ही इन रथों की भव्‍यता भक्‍तों को इनकी भक्‍ति में लीन होने पर आसक्‍त कर देती है.

इसके साथ ही जगन्‍नाथ मंदिर चारों धामों में से भी एक है. इस मंदिर में हर साल लाखों-करोड़ों की संख्‍या में श्रद्धालु जगन्‍नाथ भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं. ये मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि अपने चमत्‍कारों के लिए भी प्रसिद्ध है. कहते हैं कि इस मंदिर के चूबतरे पर कभी भी पक्षी आकर नहीं बैठते हैं और इस मंदिर की 172 साल पुरानी रसोई में एक के ऊपर एक रखे कलशों में सबसे पहले ऊपर के कलश का खाना पकता है. इस चमत्‍कार के पीछे का सत्‍य वैज्ञानिक आज तक पता नहीं लगाए पाए हैं. इस तरह जगन्‍नाथ मंदिर अपने दिव्‍य चमत्‍कारों और आस्‍था के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. साथ ही ओडिशा आने वाले श्रद्धालु यहां और भी कई पर्यटन और धार्मिक स्‍थलों के दर्शन कर सकते हैं. चमत्‍कारों के इस मंदिर से भक्‍तों की विशेष आस्‍था जुड़ी हुई है.

 

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