jagannath puri

जगन्‍नाथ मंदिर नहीं गये तो आओ घर बैठे आपको कराते हैं पुरी मंदिर के दर्शन

 

पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर को धरती का बैकुंठ कहा जाता है. पुराणों के अनुसार पुरी में भगवान विष्‍णु ने पुरुषोत्तम नील माधव के रूप में अवतार लिया था. उड़ीसा राज्‍य के पुरी में भगवान विष्‍णु को जगन्‍नाथ के रूप में पूजा जाता है. इस क्षेत्र में सबर जनजाति के लोग ज्‍यादा रहते हैं. इस कारण यहां पर भगवान जगन्‍नाथ को कबीलाई देवता के रूप में सुशोभित किया गया है.जगन्‍नाथ पुरी का ये मंदिर चार धामों में से एक है.

 

जगन्‍नाथ मंदिर

 

मंदिर  की रचना

स्‍कंद पुराण के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख की तरह पुरी का भौगोलिक आकार है और यह 16 किमी के क्षेत्रफल में फैला है. कहा जाता है कि पुरी का 2 कोस क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है.

जगन्‍नाथ पुरी मंदिर के बारे में कई आश्‍चर्यजनक बातें कही जाती हैं जिन पर विश्‍वास करना कठिन है. पुरी मंदिर से जुड़ी ये बातें अत्‍यंत चम्‍तकारिक हैं जो किसी को भी आश्‍चर्यचकित कर देती हैं. तो आइए जानते हैं पुरी मंदिर से जुड़ी खास बातें -:

– जगन्‍नाथ मंदिर के शिखर पर जो झंडा लहराता है वो हमेशा हवा की विपरीत दिशा में ही लहराता है.

– इस मंदिर के शिखर पर भगवान विष्‍णु का प्रिय सुदर्शन चक्र भी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि चारों दिशाओं से देखने पर यह सुदर्शन चक्र सामने की ओर ही प्रतीत होता है.

– जगन्‍नाथ पुरी मंदिर की रसोई में हर रोज़ लाखों लोगों के लिए प्रसाद बनता है. यहां प्रसाद बनाने के लिए आंच पर 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं. किंतु इसे ईश्‍वर का चमत्‍कार ही कहेंगें कि 7 बर्तनों में से सबसे ऊपर वाले बर्तन का खाना सबसे पहले पकता है और फिर एक-एक करके नीचे के बर्तनों का खाना पकता है.

– मंदिर के सिंहद्वार से एक कदम की ही दूरी पर आपको समुद्र की लहरों की आवाज़ें सुनाई नहीं देती हैं लेकिन एक कदम अंदर रखते हैं समुद्र की लहरों की आवाज़ें आने लगती हैं. ये अपने आप में एक चमत्‍कार है. शाम के समय मंदिर में प्रवेश करना अलौकिक अनुभव देता है.

– अधिकतर मंदिरों के चबूतरे पर प‍क्षी बैठते हैं लेकिन जगन्‍नाथ मंदिर के चबूतरे पर कभी कोई पक्षी नही बैठता है. मंदिर के ऊपर से कभी कोई हवाई जहाज़ भी गुज़रते हुए नहीं देखा गया है.

– कहा जाता है कि मंदिर में हर रोज़ हज़ारों-लाखों भक्‍त दर्शन करने आते हैं. मंदिर में बनने वाला प्रसाद भक्‍तों में कभी कम नहीं पड़ता है. आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि मंदिर के दरवाज़े बंद होते ही प्रसाद खत्‍म हो जाता है.

– एकमात्र जगन्‍नाथ मंदिर ही एक ऐसी इमारत है जिसकी परछाई नहीं दिखती है. दिन के किसी भी समय में आपको इस मंदिर की परछाई नज़र नहीं आएगी.

– मान्‍यता है कि मंदिर पर लगे झंडे को रोज़ बदलना अनिवार्य है. कहा जाता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा. इसलिए हर रोज़ मंदिर के पुजारी 45 मंजिल शिखर पर लगे झंडे को रोज़ बदलते हैं.

कैसे पुहंचे

उड़ीसा के जगन्‍नाथ मंदिर पहुंचने के लिए भुवनेश्‍वर बीजू पटनायक एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है. रेल मार्ग से आने वाले यात्रियों को पुरी रेलवे स्‍टेशन समीप रहेगा. यहां से आपको जगन्‍नाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए बस या टैक्‍सी आसानी से मिल जाएगी.

 

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