भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप

भगवान शिव पर लगा था ब्रह्म हत्या का पाप जानिए कैसे मिली उन्हें इससे मुक्ति !

भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप – कहते हैं कि इंसान जैसे कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यही नियम हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के लिए भी लागू है. मान्यता है कि स्वंय देवी-देवता भी अपने कर्मों के फल से बच नहीं पाए, भले ही वो स्वयं देवो के देव महादेव ही क्यों ना हों.

जी हां, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था, लेकिन इससे मुक्ति पाने के लिए उन्हें क्या कुछ करना पड़ा था, चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की ये पौराणिक कथा.

भगवान शिव पर लगा था ब्रह्म हत्या का पाप

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के पांच सिर हुआ करते थे तो उनके चार मुख वेदों का उच्चारण करते थे लेकिन उनका पांचवां मुख अक्सर निंदा किया करता था.

एक बार भगवान शिव ब्रह्मा के निंदा करनेवाले पांचवें मुख से बेहद नाराज हो गए और उन्होंने इस मुख को शरीर से अलग कर दिया. जिसकी वजह से शिव जी को ब्रह्म हत्या का पाप लग गया.

भगवान शिव ब्रह्म हत्या के इस पाप से मुक्ति पाना चाहते थे और इसके लिए वो पूरे ब्रह्मांड में घूमें लेकिन उन्हें इससे मुक्त होने का कोई उपाय नहीं मिला.

अपने पाप से ऐसे मुक्त हुए थे भगवान शिव

एक बार जब शिवजी सोमेश्वर में बैठे हुए थे तब एक बछड़े ने उन्हें ब्रह्म हत्या के इस पाप से मुक्त होने का उपाय बताया. बछड़े के रुप में स्वयं नंदी महाराज ने उन्हें पाप मुक्ति का मार्ग बताया.

बछड़े के रुप में नंदी शिव जी के साथ नासिक के गोदावरी स्थित रामकुंड तक गए और उन्हें कुंड में स्नान करने को कहा. जिसके बाद भगवान शिव ब्रह्म हत्या के पाप से सदा-सदा के लिए मुक्त हो गए.

नंदी के कारण ही शिवजी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हुए थे इसलिए उन्होंने नंदी को गुरू माना और यहीं शिवलिंग के रुप में स्थापित हुए.

नासिक के इस पवित्र स्थान को कपालेश्वर महादेव मंदिर के रुप में जाना जाता है जो गोदावरी के तट पर बना है. ऐसा माना जाता है कि यह संसार का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां उनके वाहन नंदी मंदिर में विराजमान नहीं है.

भगवान शिव को उनके पाप से मुक्ति का मार्ग नंदी ने ही बताया था इसलिए उस दौरान नंदी उनके गुरू बन गए थे यही वजह है कि भगवान शिव ने इस मंदिर में नंदी को स्वयं के सामने बैठने से मना कर दिया था.

भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप – महादेव के इस मंदिर में आनेवाले लोग भगवान शिव के दर्शन करने के साथ ही गोदावरी नदी में आस्था की डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति पाते हैं.

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