नाड़ी दोष

कुंडली में नाड़ी दोष हो तो किसी कीमत पर न करें विवाह

नाड़ी दोष – हिंदू धर्म में अनादिकाल से ही विवाह से पूर्व लड़का और लड़की की कुंडली मिलाने का विधान है।

इस परंपरा को काफी महत्‍वपूर्ण माना जाता है। कभी-कभी कुंडली मिलान न होने पर भी लड़का और लड़की की शादी करवा जाती है जिससे उन्‍हें आगे चलकर परेशानी होती है। इन्‍हीं में से एक है वर-वधू की कुंडली में नाड़ी दोष का होना। अगर किसी जातक की कुंडली में नाड़ी दोष है तो ये उसके वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है।

आइए जानते हैं किस प्रकार नाड़ी दोष वैवाहिक जीवन में परेशानियां उत्‍पन्‍न करता है।

भारतीय ज्‍योतिष के अनुसार भविष्‍य में वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा, इस बात का पता नक्षत्र मिलान से लगाया जा सकता है। उत्तर भारत में इसके अंतर्गत आठ मेलापक या कूट को मिलाया जाता है जोकि इस प्रकार हैं – वर्ण, वैश्‍य, तारा, योनि, ग्रह, मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी।

36 गुण

हर कूट के लिए एक-एक अंक के बढ़ते क्रम में कुडली का मिलाप निर्धारित करता है। इस तरह कुल 36 गुण (वर्ण-1, तारा-3, योनि-4, ग्रहमैत्री-5, गण-6, भकूट-7, नाड़ी-8 = 36) होते हैं। इस आधार पर वर-वधू की कुंडली का मिलान किया जाता है।

कुंडली मिलान में अंतिम के तीन गुण सबसे ज्‍यादा अहम होते हैं क्‍योंकि इनके कुल गुण मिलकर सभी 8 कूट में सबसे ज्‍यादा (21 = नाड़ी-8 भकूट और गण -6) और सभी गुणों का 58 प्रतिशत होता है।

इसी वजह से कुंडली मिलान में इन तीन गुणों को महादोष कहा गया है।

क्‍या है नाड़ी दोष

वैदिक ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार ब्रह्मांड में कुल 27 नक्षत्र माने गए हैं और इन 27 नक्षत्रों को 3 नाडियों में बांटा गया है – आदि, मध्‍य तथा अंत्‍य। कुंडली मिलान में यदि वर-वधू दोनों ही आदि-आदि, मध्‍य-मध्‍य और अंत्‍य-अंत्‍य हों तो वहां पर नाड़ी दोष माना जाता है।

इस प्रकार नाड़ी कूट के अंतर्गत कोई अंक प्राप्‍त नहीं होता। इसी तरह अगर वर-वधू दोनों अलग-अलग नक्षत्र के हों तो उन्‍हें पूरे 8 अंक प्राप्‍त होते हैं। ऐसे मिलान को नाड़ी दोष से मुक्‍त माना जाता है।

नाड़ी दोष के प्रभाव

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार भले ही लड़का-लड़की के अन्‍य गुण मिल रहे हों लेकिन अगर कुंडली मिलान में नाड़ी दोष है तो इसे नंज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। कुंडली में नाड़ी दोष का होना वैवाहिक जीवन के लिए बहुत दुर्भाग्‍यपूर्ण होता है। ऐसे रिश्‍ते दुखों से भरे होते हैं और कभी न कभी टूट ही जाते हैं। यहां तक कि दोनों में से किसी एक की मृत्‍यु भी हो सकती है। यदि कुंडली में आदि दोष हो तो वर-वूध का तलाक होना निश्चित है। वहीं मध्‍य दोष होने पर दोनों की ही मृत्‍यु संभव है। अन्‍य दोष होने पर वैवाहिक जीवन में कष्‍ट आते हैं या दोनों में से किसी एक की मृत्‍यु हो जाती है और फिर एक साथी की मृत्‍यु के बाद दूसरे का एकाकी जीवन बेहद कष्‍टकारी होता है।

हो सकती है मृत्‍यु

कुंडली मिलान में आदि दोष है तो पति की मृत्यु संभव है। मध्‍य दोष में पति-पत्‍नी दोनों के लिए मृत्‍युकारक है। अन्‍य दोष पत्‍नी की मृत्‍यु का कारक होता है।

इस प्रकार कुंडली मिलान में नाड़ी दोष होना हर प्रकार से वैवाहिक जीवन के लिए कष्‍टकारी और दुर्भाग्‍यपूर्ण होता है।

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