रुद्राक्ष और ग्रह का संबंध

जानिए किस ग्रह की शांति के लिए धारण करना चाहिए कौन-सा रुद्राक्ष !

रुद्राक्ष और ग्रह का संबंध – कुंडली में बैठे अशुभ ग्रहों का मनुष्‍य के जीवन पर अनुकूल-प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

कुछ ग्रह तो इतना क्रूर प्रभाव डालते हैं कि इंसान का पूरा जीवन ही तहस-नहस हो जाता है। ग्रहों की शांति के लिए ज्‍योतिष में अनेक उपाय बताए गए हैं। ग्रह शांति के लिए व्रत, उनसे संबंधित चीज़ों का दान और रुद्राक्ष धारण करवाया जाता है।

आज हम आपको बताते हैं कि किस रुद्राक्ष को धारण करने से किस ग्रह की शांति होती है।

रुद्राक्ष और ग्रह का संबंध –

सूर्य : अगर कुंडली में सूर्य पीडित है या अशुभ प्रभाव दे रहा है तो आपको इस ग्रह की शांति के लिए एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

चंद्रमा : कुंडली में नीच स्‍थान में बैठे चंद्रमा को बली करने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

मंगल : मंगल का अशुभ प्रभाव अत्‍यंत पीड़ादायक होता है इसलिए आपको इस ग्रह को शांत करने के लिए तीन और ग्‍यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

बुध : बुध ग्रह कुंडली में अशुभ प्रभाव दे रहा है और यदि आपको इस ग्रह से संबंधित क्षेत्रों में नुकसान हो रहा है तो आपको चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

गुरु : बृहस्‍पति ग्रह वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। यदि गुरु अशुभ स्‍थान में बैठा हो या अनुचित प्रभाव दे रहा हो तो आपको पांच मुखी या दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

शुक्र : शुक्र की शांति के लिए छह और तेरह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक रहता है। ये रुद्राक्ष धारण करने से आपको शुक्र से संबंधित भौतिक सुखों की प्राप्‍ति होती है।

शनि : ये तो सभी जानते हैं कि अगर कुंडली में शनि देश अशुभ स्‍थान में बैठे हों या कुप्रभाव दे रहे हैं तो उस इंसान का जीवन कैसा बन जाता है। शनि ग्रह की पीड़ा को शांत करना अति आवश्‍यक होता है। शनि की पीड़ा को शांत करने के लिए सात और चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

राहु : राहु की शांति के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष बेहतर माना जाता है।

केतु : अगर आपको केतु के कारण परेशानियां आ रही हैं तो आपको नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

ये है रुद्राक्ष और ग्रह का संबंध – धरती पर रुद्राक्ष को शिव का प्रतीक माना जाता है। रुद्राक्ष को धारण करने से आपकी सभी समस्‍याएं तो दूर होती ही हैं साथ ही भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है। शिव भक्‍तों को तो रुद्राक्ष अवश्‍य ही धारण करना चाहिए।

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