सर्व पितृ अमावस्या

सर्व पितृ अमावस्या के दिन करेंगे ये खास काम तो आपके सभी पितृ होंगे बेहद प्रसन्न !

सर्व पितृ अमावस्या – अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने और उनके लिए स्वर्ग की कामना करने के साथ ही उनकी मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में लोग पिंडदान,श्राद्ध और तर्पण करते हैं.

शास्त्रों में भी देवकार्य करने से पहले पितरों को तृप्त करने का उल्लेख किया गया है. इसलिए हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक के समय को पितृ पक्ष के तौर पर मनाया जाता है.

पितृ पक्ष के पूरे 16 दिनों तक लोग ना सिर्फ अपने पितरों का ध्यान करते हैं बल्कि उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म करते हैं.

लेकिन जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि नहीं पता होती है उन्हें सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने समस्त पितरों के लिए कुछ खास उपाय जरूर करने चाहिए ताकि उन्हें संतुष्टि मिले और आप पर उनकी प्रसन्नता बनी रहे.

सर्व पितृ अमावस्या पर करें ये खास काम

पितृपक्ष के आखिरी दिन यानी सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह के वक्त स्टील के लोटे में जल, थोड़ा दूध, काले तिल, अक्षत और जौ मिला लें.

इसके साथ कोई भी सफेद रंग की मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर सर्व प्रथम लोटे की समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित कर दें.

जल अर्पित करने के साथ ही लगातार ‘ओम् सर्व पितृ देवताभ्यो नम:’  मंत्र का जप करना है. पीपल की जड़ में जल अर्पित करने के बाद ‘ओम् प्रथम पितृ नारायणाय नम:’  मंत्र का जप करते हुए पीपल पर जनेऊ अर्पित करें.

इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीच मिठाई, दक्षिणा और नारियल रखकर दो अगरबत्ती जलाएं. फिर ‘ओम् नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करते हुए उस वृक्ष की सात बार परिक्रमा पूरी करें.

आखिर में भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि मुझ पर और मेरे पूरे वंश पर आपकी और हमारे सभी पितरों की कृपा सदैव बनी रहे.

ऐसे करें आखिरी दिन पितरों की विदाई

पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों के निमित्त श्रद्धा से श्राद्ध कर्म करने बाद सूर्यास्त के समय पूरे आदर और श्रद्धा के साथ पितरों की विदाई जरूर करनी चाहिए.

शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के समय गंगा या किसी भी पवित्र नदी के तट पर चौदह दीप प्रज्जवलित कर पितरों का ध्यान करना चाहिए. इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दीपों को गंगा में प्रवाहित कर पितरों से जाने अंजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगकर उन्हें विदा करना चाहिए.

अगर ऐसा करना आपके लिए मुमकिन नहीं है तो फिर पीपल का वृक्ष आपकी इस परेशानी को दूर कर सकता है. पीपल में 33 कोटी देवी-देवताओं का वास माना गया है. इसमें पितरों का भी वास माना जाता है इसलिए गंगा या नदी तट ना मिले तो पीपल के चारों ओर दीप प्रज्जवलित करके दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पितरों को याद करें और श्रद्धापूर्वक उनकी विदाई करें.

गौरतलब है कि पितृ पक्ष के दौरान जो लोग नित्य अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं और श्राद्ध के दिन श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं उनपर सदैव उनके पितर प्रसन्न रहते हैं.

इतना ही नहीं ऐसे लोगों के घरों में सदैव लक्ष्मी विराजान रहती हैं, जिससे उनके जीवन में कभी अस्थिरताएं नहीं आती हैं और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में मनोवांछित सफलता मिलती है.

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