केतु के प्रकोप से बचने के लिए

केतु के प्रकोप से बचने के लिए करें ये ज्योतिषीय उपाय

केतु के प्रकोप से बचने के लिए – ज्‍योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है।

ये दोनों ही ग्रह अशुभ और पाप ग्रह की श्रेणी में आते हैं। किंतु शुभ स्थिति में होने पर ये अन्‍य ग्रहों से भी अधिक शुभ फल देते हैं।

यदि कुंडली में केतु कमज़ोर हो या कूपित हो तो जातक के व्‍यवहार में नकारात्‍मक बदलाव आने लगते हैं। कामवासना के तीव्र होने के कारण जातक अनैतिक कार्यों में लिप्‍त रहता है। केतु के अशुभ प्रभाव के कारण गर्भपात, गुप्‍त रोग और पथरी का भी खतरा रहता है। इसके अलावा असाध्‍य रोग, खांसी, सर्दी, वात, पित्त और कफ के साथ-साथ अन्‍य विकार भी घेरे रहते हैं।

केतु का स्‍वभाव

शास्‍त्रों में केतु को तमोगुणी वाला मलिन रूप का ग्रह कहा गया है। केतु मीन राशि का स्‍वामी है। धनु राशि में यह उच्‍च और मिथुन राशि में यह नीच का होता है। इसके अलावा धनु, वृषभ और मीन राशि में यह प्रबल रहता है। जिस भी भाव के साथ केतु बैठता है ये उस पर अपना अच्‍छा या बुरा प्रभाव जरूर दिखाता है। इसका विशेष फल 48 श 54 वर्ष में मिलता है। अगर किसी की कुंडली के लग्‍न, षष्‍ठम, अष्‍टम या एकादश भाव में केतु हो तो उसे बिलकुल भी शुभ नहीं माना जाता है। इस कारण जीवन कष्‍टों से घिर जाता है।

केतु के प्रकोप से बचने के लिए कुछ ज्‍योतिषीय उपायों की मदद भी ली जा सकती है। केतु को शांत करने के लिए ये उपाय भी कर सकते हैं।

केतु के प्रकोप से बचने के लिए –

– केतु के प्रकोप से बचने के लिए शुक्‍ल पक्ष के प्रथम मंगलवार के दिन लाल चंदन की माला धारण करें।

– केतु को प्रसन्‍न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें -:

पलाश पुष्‍प संकाशं, तारका ग्रह मस्‍तकं।

रौद्रं रौद्राम्‍तकं घोरं, तम केतुम प्रण माम्‍यहम।।‘

– शुक्‍ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को अभिमंत्रित असगंध की जड़ को नीले धागे में बांधकर धारण करें। इससे भी केतु शांत होता है।

– केतु से संबंधित वस्‍तुओं का दान करें। तिल, कस्‍तूरी, काले रंग के पुष्‍प, उड़द की काली दाल,कम्‍बल, लोहा और छतरी का दान करें।

– केतु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए लहसुनिया रत्‍न भी धारण करना चाहिए।

– केतु के प्रकोप से बचने के निए नवग्रह शांति के साथ-साथ मां लक्ष्‍मी और देवी सरस्‍वती की आराधना भी करनी चाहिए।

ये है उपाय केतु के प्रकोप से बचने के लिए – केतु आपके जीवन का कष्‍टकारी और दुखपूर्ण बना सकता है इसलिए इससे बचने के लिए ज्‍योतिषीय उपाय जरूर करें।

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