अधूरे मंदिरों का रहस्य

इन मंदिरों के अधूरा रहने के पीछे छिपा है ये रहस्य

अधूरे मंदिरों का रहस्य – भारत में कई ऐसे मं‍दिर हैं जो अपनी भव्‍यता के कारण प्रसिद्ध हैं.

लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो सदियों से अधूरे बने हुए हैं और इन अधूरे मंदिरों में ही भक्‍तों की भारी भीड़ दर्शन को उमड़ती है।

हर मंदिर के अधूरे रह जाने के पीछे एक रहस्‍य है।

आइए जानते हैं इन अधूरे मंदिरों का रहस्य ।

अधूरे मंदिरों का रहस्य –

1 – भोजेश्‍वर मंदिर

भोपाल के भोजपुर गांव में स्थिति भगवान शिव के अधूरे भोजेश्‍वर मंदिर की छत का निर्माण नहीं हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर को एक रात में ही बनाया गया था। मंदिर पूर्ण होने से पहले ही सुबह हो गई और यह मंदिर अधूरा रह गया। अगर इस मंदिर का पूर्ण निर्माण हो पाता तो यह भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक होता। इस मंदिर का निर्माण और इसमें शिवलिंग की स्‍थापना 11वीं शताब्‍दी में परमार राजा भोज ने करवाई थी। इस मंदिर का आधार चार स्‍तंभ हैं। ये मंदिर इतना विशाल है कि इसका सिर्फ चबूतरा ही तकरीबन 35 मी लंबा है। यहां पर स्‍थापित शिवलिंग की ऊंचाई 12 फीट है। मंदिर के पास ही बेतवा नदी के किनारे माता पार्वती की गुफा भी है।

2 – जांजगीर विष्‍णु मंदिर

छत्तीसगढ़ के जांजगीर मंदिर में भगवान विष्‍णु की पूजा होती है। एक बार शिवरीनारायण और इस मंदिर के बीच प्रतियोगगिता हुई कि जो मंदिर पहले बनेगा उसी में भगवान विष्‍णु पधारेंगें। शिवरीनारायण मंदिर पहले बन गया और जांजगीर मंदिर अधूरा रह गया। बस तभी से मंदिर अधूरा है। य‍ह मंदिर बिलासपुर से 60 मील की दूरी पर बना है। स्‍थानीय लोग इंस मंदिर को नकाटा मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर का निर्माण लाल ईंटों से किया गया है। किवदंती है कि इस मंदिर के निर्माण की प्रतियोगिता में पाली में स्थित शिव मंदिर को भी शामिल किया गया था।

अधूरे मंदिरों का रहस्य

ये है अधूरे मंदिरों का रहस्य – इस प्रकार भारत के ये दो विशाल मंदिर अधूरे ही रह गए। लेकिन इसके बावजूद आज भी इन मंदिरों में भक्‍तों की भारी भीड़ दर्शन को उमड़ती है।

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