सुंदरकांड का पाठ

सुंदरकांड का पाठ करने से पूरी होती है हर कामना – जानिये क्या है विधि !

हनुमान जी की आराधना से व्‍यक्‍ति को बड़ी से बड़ी मुसीबत और कष्‍टों से मुक्‍ति मिल जाती है।

मान्‍यता है कि कलियुग में भी चिरंजीवी हनुमान जी अपने भक्‍तों की रक्षा कर रहे हैं। शास्‍त्रों के अनुसार हनुमान जी को प्रसन्‍न करने के लिए सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना फलदायी रहता है। मान्‍यता है कि सुंदरकांड पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

सुंदरकांड के पाठ को महत्‍वपूर्ण बताया गया है क्‍योंकि इस ग्रंथ में भगवान राम के साथ-साथ उनके परमभक्‍त हनुमान जी के गुणों और शक्‍ति का उल्‍लेख भी किया गया है।

सुंदरकांड पाठ करने के लाभ

– यदि आप किसी बड़ी परीक्षा के लिए जा रहे हैं तो सुंदरकांड का पाठ करके घर से निकलें। इससे आपको अपनी परीक्षा में निश्चित ही सफलता मिलेगी।

– सुंदरकांड पाठ करने से आत्‍मविश्‍वास और मनोबल में वृद्धि होती है। किसी भी मुश्किल घड़ी का सामना करने के लिए सुंदरकांड का पाठ व्‍यक्‍ति को साहसी बनाता है।

– विद्यार्थियों को सुंदरकांड का पाठ अवश्‍य करना चाहिए। यह पाठ बच्‍चों के मन में आत्‍मविश्‍वास को जगाकर उन्‍हें सफलता दिलाने में मदद करता है।

– जब भी आप सुंदरकांड का पाठ करें तो उस समय घर के सभी सदस्‍य वहां मौजूद होने चाहिए। सुंदरकांड का पाठ कराने से घर में मौजूद सभी तरह की नकारात्‍मक शक्‍तियां खत्‍म हो जाती हैं।

– ग्रह दोष को भी दूर करने की शक्‍ति सुंदरकांड में होती है। अगर आपकी कुंडली में कोई भी ग्रह दोष है तो आपको उसके बुरे फल से बचने के लिए सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।

ऐसे करें सुंदरकांड पाठ

शनिवार और मंगलवार के दिन सुंदरकांड पाठ जरूर करना चाहिए।

इन दो दिनों में सुंदरकांड पाठ करने से सभी संकटों का नाश होता है। लेकिन इस ग्रंथ का आप आप अपनी आवश्‍यकता और सुविधानुसार भी कर सकते हैं। सुंदरकांड पाठ करने से पहले स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। इसके पश्‍चात् किसी निकट मंदिर में जाकर या अपने घर के पूजन स्‍थल में स्‍थापित हनुमान जी की प्रतिमा के आगे बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें। अब हुनमान जी की प्रतिमा के आगे फूल-माला, चंदन, तिलक और अन्‍य पूजन सामग्री अर्पित करें।

अगर आप सुंदरकांड का पाठ किसी हनुमान मंदिर में कर रहे हैं तो हनुमान की को चमेली का तेल और सिंदूर भी चढ़ा सकते हैं। पाठ करने से पहले हनुमान जी के आगे घी का दीया जलाएं। अब गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती सहित राम-सीता और लक्ष्‍मण जी के साथ-साथ हनुमान जी को प्रणाम कर अपने पितृदेवों का स्‍मरण करें। इसके पश्‍चात् हनुमान जी का मन में ध्‍यान कर सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें। पाठ के समापन पर हनुमान जी की आरती करें और वहां मौजूद लोगों में प्रसाद बांटें।

सुंदरकांड का पाठ करने से आपको शनि देव की कृपा भी प्राप्‍त होती है। जो भी व्‍यक्‍ति इस विधि से हनुमान जी के सुंदरकांड का पाठ करता है उसके सभी दुखों का नाश होता है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

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