विनायकी देवी

गणेश जी के स्त्री अवतार को कहते हैं विनायकी, जानिये इनके बारे में

विनायकी देवी – सुख-समृद्धि प्रदायक और मंगलकारी देवता भगवान गणेश के स्‍त्री रूप के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।

कई ग्रंथों और शास्‍त्रों में गणेशजी के इस स्‍त्री रूप का वर्णन मिलता है।

कुछ लोग गणेश जी के स्‍त्री अवतार को गणेशानी, गजनीनी, गणेश्‍वरी और गजमुखी के साथ-साथ और भी कई नामों से पुकारते हैं। तिब्‍बत में गणेश जी को इसी स्‍त्री रूप में पूजा जाता है।

इसके अलावा तमिलनाडु, मदुरै और व्‍याग्रपदा में भी गणपति जी के इस रूप की पूजा होती है।

मतस्‍य पुराण के अनुसार एक बार राक्षस आंदोक ने देवी पार्वती के अपहरण का साहस किया था। तब उसका संहार करते हुए भगवान शिव का त्रिशूल माता पार्वती को लग गया था। उस समय देवी र्पावती का जो रक्‍त जमीन पर गिरा वो दो भागों में बंट गया, एक स्‍त्री और एक पुरुष। इसमें से स्‍त्री का नाम गणेशानी रखा गया।

कुछ लोग विनायकी देवी को गणेश जी की पत्‍नी मानते हैं किंतु ये सत्‍य नहीं है। विनायकी एक देवी हैं जिन्‍हें हिंदू धर्म में पूजा जाता है। किवदंती है कि विनायकी की बनावट भी गणेश जी की तरह ही है और उनमें 64 योगियां भी हैं। काशी और उड़ीसा में गणेश जी के ऐसे स्‍वरूप को पूजा जाता है। विनायकी के हाथ में युद्ध का परशु और कुल्‍हाड़ी होता है।

किवदंती है कि 16वीं शताब्‍दी के दौरान लोगों को भगवान गणेश के इस रूप के बारे में पता चला था और तभी से विनायकी देवी के रूप में पूजा की जाती है। विनायकी का आधा शरीर हाथी और आधा शरीर स्‍त्री का है। गणेश जी की ही तरह विनायकी की मूर्ति भी खड़े हुए, बैठे हुए और नृत्‍य करते हुए होत है। विनायकी स्‍वयं एक देवी हैं जिनका भगवान गणेश से कोई संबंध नहीं है। इनका केवल स्‍वरूप ही गणेश जी जैसा है।

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