सरस्वती पूजा

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बोला जाता है कि जब संसार की रचना हुई थी तो उसके बाद इसी संसार को देखने के बाद ब्रह्मा जी तनावग्रस्त हो गये थे. चारों तरफ अज्ञान और जानवरों की तरह जी रहे लोग थे. तब इस संसार को सुन्दर बनाने के लिए ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी का निर्माण किया था.

सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है. विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा जी ने एक चतुर्भुजी स्त्री की रचना की, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी. शब्द के माधुर्य और रस से युक्त होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा.

यदि व्यक्ति के पास माता सरस्वती होती हैं तो वह समाज में इज्जत प्राप्त करता है. कई बार व्यक्ति की कुंडली में सरस्वती जी नाराज बैठी हुई होती हैं. ऐसा अक्सर छात्रों के साथ होता है कि उनकी गलतियों से सरस्वती माता उनके पास नहीं आती हैं. आपके बच्चे यदि अभी पढ़ रहे हैं और उनको शिक्षा लेने में मुश्किल आ रही हैं तो आपको जल्द से जल्द अपने बच्चों के लिए सरस्वती पूजा करा लेनी चाहिए.