पित्र दोष शांति पूजा

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आत्मा और परमात्मा में हर भारतीय का विश्वास होता है. सभी जानते हैं कि हमारी आत्मा परमात्मा में से निकली है और इसको वहीं जाकर मिलना भी चाहिए. लेकिन कई बार इन्सान के कर्मों और कार्यों की वजह से ऐसा हो जाता है कि आत्मा परमात्मा के अन्दर ना जाकर बल्कि किसी और योनि में प्रवेश कर जाती है. इसलिए आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से पूरे पितृपक्ष की समाप्ति तक व्यक्ति अपने बड़ों और परिवार के सदस्य की मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं. ऐसा बोला जाता है कि पित्र दोष पूजा के बाद ही पितरों को प्रेतात्मा योनि से मुक्ति मिलती है.

हर साल व्यक्ति को अपने पितरों अर्थात बड़ों की आत्माओं की शांति के लिए इस पूजा का आयोजन कराना विशेष बताया गया है. इस पूजा के करने से घर के सदस्यों को सुख का अनुभव भी होता है और बड़ों के आशीर्वाद से हर तरह के कष्ट भी खत्म हो जाते हैं.

इसके साथ-साथ कई बार ऐसा भी होता है कि पहले जन्म के कार्यों और कर्मों से वर्तमान जन्म में व्यक्ति की कुंडली में पित्र दोष भी बन जाता है. इस दोष की वजह से व्यक्ति के काम नहीं बनते हैं. ऐसा व्यक्ति कभी भी किसी काम में सफल नहीं हो पाता है. योर फार्च्यून की मदद से आप आसानी से अपनी कुंडली की जाँच कराकर पित्र दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. हमारे अनुभवी ब्राह्मण श्राद के दिनों में भी विधि-विधान तरीके से श्राद पूजा कराकर, पितरों के आत्मा के लिए पूजन करते हैं.