मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

भगवान राम के जीवन की यह 10 कसमें जिनकी जानकारी हिन्दुओं को जरुर होनी चाहिए

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का पूरा जीवन ही सभी लोगों के लिए एक आदर्श है. श्रीराम ने अपने पूरे जीवन में धर्म का पालन किया था. शास्‍त्रों में श्रीराम को वैदिक सनातन धर्म की आत्‍मा कहा गया है. श्रीराम अपने जीवनकाल में एक अच्‍छे पुत्र, अच्‍छे पति और एक अच्‍छे पिता के रूप में सभी के आदर्श हैं.

श्रीराम का पूरा जीवन कई कष्‍टों और त्‍याग से परिपूर्ण था. उनके जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आईं थीं जिनके कारण उन्‍हें अपना सुख त्‍याग कर दूसरों के सुख के बारे में सोचना पड़ा था. श्रीराम ने अपने पूरे जीवन में कुछ कसमों का पालन किया था जो उनके जीवन को दूसरों से सर्वोपरि बनाती हैं. आइए जानते हैं श्रीराम के जीवन की उन 10 कसमों के बारे में -:

 

भगवान श्रीराम

 

– श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है क्‍योंकि उन्‍होंनें आजीवन मर्यादा का पालन करने की मसम खाई थी. श्रीराम ने कभी भी कैसी भी विकट परिस्थिति में अपनी मर्यादा को नहीं लांघा.

 

– श्रीराम अयोध्‍या के राजा थे और इस कारण श्रीराम ने अपने इस पद की गरिमा को सदा बनाए रखने की कसम खाई थी. श्रीराम ने कभी ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे उनके राजा होने की गरिमा भंग हो जाए.

 

– श्रीराम को आज भी एक आदर्श पति के रूप में पूजा जाता है. विवाह से पूर्व श्रीराम ने माता सीता को यह वचन दिया था कि वह उनसे विवाह करने के पश्‍चात् किसी और स्‍त्री से कोई संबंध कभी नहीं रखेंगें. श्रीराम ने अपनी इस कसम का पालन पूरी श्रद्धा से किया था. उन्‍होंनें देवी सीता का त्‍याग करने के बाद भी किसी अन्‍य स्‍त्री से विवाह नहीं किया. श्रीराम ने अपने पति व्रत की कसम का पालन किया था.

 

– श्रीराम अपने परिजनों और परिवार के सदस्‍यों की बात को कभी टालते नहीं थे. तभी तो अपनी माता कैकई के सुख के लिए श्रीराम हंसते-हंसते वनवास के लिए प्रस्‍थान कर गए थे. श्रीराम ने अपने जीवन में अपने परिजनों की आज्ञा का पालन करने की भी कसम खाई थी.

 

– श्रीराम ने कभी भी अपने पिता राजा दशरथ की आज्ञा की अवमानना नहीं की. उन्‍होंने पूरी निष्‍ठा से अपना पुत्र धर्म निभाया और अपने पिता की आज्ञा का पालन किया. श्रीराम ने पिता की आज्ञा का पालन करने की भी कसम खाई थी.

 

– जब रावण के तीरों से लक्ष्‍मण जी घायल हो गए थे तो श्रीराम को उनकी माता सुमित्रा को दिया वचन याद आया था. वनवास के लिए निकलते हुए श्रीराम ने माता सुमित्रा को वचन दिया था कि वे अपने अनुज लक्ष्‍मण के प्राणों की रक्षा करेंगे. रावण के तीरों से घायल लक्ष्‍मण के प्राण बचाने के लिए श्रीराम ने हर संभव प्रयास किया और लक्ष्‍मण जी जीवित हो गए. इस प्रकार भाई लक्ष्‍मण के प्राण बचाने की श्रीराम की कसम पूरी हुई.

 

– वनवास के दौरान श्रीराम अपने भक्‍त सबरी के आश्रम पहुंचते हैं. नीच कुल का होने के कारण कोई भी व्‍यक्‍ति सबरी के आश्रम में प्रवेश नहीं करता है किंतु श्रीराम न केवल सबरी के आश्रम आते हैं बल्कि उसके झूठे बेरों को भी खाते हैं. इस प्रकार श्रीराम संसार को यह संदेश देते हैं कि कोई भी व्‍यक्‍ति अपने कुल या जाति की वजह से नीच नहीं होता. इस तरह श्रीराम ने सबरी के छोटेपन को बड़ा करने की कसम का पालन किया था.

 

– श्रीराम की सबसे बड़ी कसम थी अपने राज्‍य को त्‍याग कर अपनी माता कैकई को दी गई कसम का पालन करना. श्रीराम ने माता कैकई को कसम दी थी कि वे 14 वर्षों के लिए अपना राज्‍य त्‍याग कर वनवास के लिए प्रस्‍थान करेंगें. पूरे 14 वर्षों तक पूरी निष्‍ठा से श्रीराम ने अपनी इस कसम का पालन किया था.

 

– श्रीराम के सबसे बड़े भक्‍त हनुमान के बारे में तो आप जानते ही होंगें. श्रीराम ने हनुमान जी को कसम दी थी कि वे अपने इस स्‍वरूप में उन्‍हें जरूर दर्शन देंगें. इस तरह अपनी कसम का पालन करते हुए श्रीराम ने अपने भक्‍त हनुमान को मनुष्‍य रूप में दर्शन दिए थे.

 

– बालि द्वारा सुग्रीव को राज्‍य से निष्‍कासित करने के बाद सुग्रीव श्रीराम की शरण में गया था. तब श्रीराम ने सुग्रीव को वचन दिया था कि वे बालि को हराकर उसे किश्‍किंधा का राजा घोषित करेंगें. श्रीराम ने बालि का वध कर सुग्रीव को किश्‍किंधा का राजा बनाकर अपनी कसम को पूरा किया था.

 

इस तरह श्रीराम का पूरा जीवन अपने वचन और कसमों के पालन करते हुए बीता. श्रीराम आज भी लोगों के लिए एक आदर्श हैं. उन्‍होंनें जन सुख और मर्यादा के पालन के लिए अपने सुखों का त्‍याग किया था.

 

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