गीता

गीता के पहले अध्याय की ख़ास 10 बातें जो हैं हर व्यक्ति के लिए खास

शास्‍त्रों के अनुसार भगवद् गीता में मनुष्‍य के जीवन का सार छिपा है. महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्‍ण ने पांडव पुत्र अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे जिनका पालन कर पांडवों को युद्ध में विजय प्राप्‍त हुई थी. इसी प्रकार श्रीकृष्‍ण के इन उपदेशों का पालन कर हम अपने जीवन रूपी युद्ध को जीत सकते हैं.

 

भगवद् गीता

गीता के प्रथम अध्‍याय से हमें अपने जीवन में कुछ उपदेश मिलते हैं जिनका पालन कर हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं. तो आइए जानते हैं गीता के प्रथम अध्‍याय के मुख्‍य 10 उपदेश -:

– गीता के प्रथम अध्‍याय में अर्जुन, श्रीकृष्‍ण से कहते हैं हे कृष्‍ण! रणभूमि में सभी मेरे परिवारजन हैं तो मैं उन पर बाण कैसे चलाऊं. अर्जुन की ये बात सुनकर श्रीकृष्‍ण कहते हैं युद्ध भूमि में सब शत्रु होते हैं, यहां मित्र जैसा कुछ नहीं है अर्थात् तुम अपने धर्म का पालन करो. श्रीकृष्‍ण की इस बात से हमें उपदेश मिलता है कि हमें भी अपने जीवन में रिश्‍ते–नातों को भुलाकर सत्‍य और धर्म का साथ देना चाहिए.

– गीता के प्रथम अध्‍याय से हमें उपदेश मिलता है कि भले ही हमारे प्रिय या अपने संबंधी गलत कर रहे हों, हमें उन्‍हें सही मार्ग दिखाना ही चाहिए. यही हमारा कर्त्तव्‍य और धर्म है.

– भगवद्गीता में श्रीकृष्‍ण कहते हैं कि कुल के नाश से सनातन कुल-धर्म नष्‍ट हो जाते हैं और धर्म का नाश हो जाने पर संपूर्ण कुल में अधर्म बढ़ जाता है. इसलिए अपने कुल और परिवार की रक्षा के लिए मनुष्‍य को हर संभव प्रयास करना चाहिए.

– धृत्‍राष्‍ट्र के पुत्रों के अधर्म के मार्ग पर जाने पर पांडव पुत्र उन्‍हें धर्म का पाठ सिखाते हैं. इसी प्रकार मनुष्‍य को भी अपने जीवन में आसपास होने वाले अधर्म को बदलने की क्षमता रखनी चाहिए.

– गीता के प्रथम अध्‍याय में श्रीकृष्‍ण उपदेश देते हैं कि आग लगाने वाला, विष देने वाला, हाथ में शस्‍त्र लिए हुए, धन छीनने वाला, जमीन और पत्‍नी का हरण करने वाला व्‍यक्‍ति अत्‍याचारी अथवा पापी होता है. ऐसे व्‍यक्‍ति को दंड देने में कोई पाप नहीं लगता.

– रणभूमि में अर्जुन कहते हैं कि मुझे राज्‍य और सुख-सुविधाओं का मोह नहीं है, फिर क्‍यों मैं अपने परिजनों का लहु बहाऊं. तब श्रीकृष्‍ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि तुम्‍हें अपने लिए नहीं बल्कि अपनी पत्‍नी द्रौपदी के आत्‍मसम्‍मान के लिए और धर्म की स्‍थापना के लिए ये युद्ध लड़ना है. अर्थात् यदि कोई आपकी पत्‍नी पर बुरी नज़र डाले तो आपको बिना कुछ सोचे उस व्‍यक्‍ति को दंडित करना है क्‍योंकि पराई स्‍त्री पर नज़र डालना पाप है.

– श्रीकृष्‍ण के अनुसार पांडवों ने धर्म की स्‍थापना के लिए अपने ही परिजनों का लहु बहाया था. अर्थात् कभी-कभी मनुष्‍य को धर्म और सत्‍य का साथ देने के लिए अपनों के ही विरूद्ध खड़ा होना पड़ता है.

– गीता का प्रथम अध्‍याय सबसे बड़ा उपदेश देता है कि हमें सदा अपने गुरु की बात सुननी चाहिए. जिस प्रकार अर्जुन ने युद्ध में अपने गुरु श्रीकृष्‍ण की बात सुनकर युद्ध में विजय प्राप्‍त की थी. उसी प्रकार मनुष्‍य भी अपने गुरु के ज्ञान और सीख से सफलता प्राप्‍त कर सकता है.

– युद्ध में हनुमान जी ने अर्जुन का साथ दिया था क्‍योंकि वह धर्म की स्‍थापना के लिए लड़ रहा था. इसका अर्थ यह है कि जब आप सत्‍य और धर्म के लिए लड़ रहे होते हैं तो ईश्‍वर भी आपके साथ होते हैं.

– महाभारत युद्ध का मूल कारण लोभ और राज्‍य सुख था जिसके कारण करोड़ों लोगों का रक्‍त बहा था. इसलिए मनुष्‍य को लोभ और धन की लालसा न करते हुए जीवन के मूल सार को समझना चाहिए. ईश्‍वर के अनुसार जीवन में सबसे महत्‍वपूर्ण प्रेम और संबंध होते हैं. जीवन में जो भी व्‍यक्‍ति अपने स्‍वयं के लोभ या लाभ के बारे में सोचता है उसका परिणाम धृत्‍राष्‍ट्र के पुत्रों जैसा ही होता है.

गीता के प्रथम अध्‍याय की ये 10 खास बातें किसी भी मनुष्‍य के जीवन को सुखमय बना सकती हैं. तो अब आप भी इन बातों का अनुसरण अपने जीवन में करना न भूलें.

 

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