एक ही गोत्र में विवाह

एक ही गोत्र में विवाह करने से होते हैं ये नुकसान

एक ही गोत्र में विवाह – हिंदू धर्म में सदियों पुरानी पंरपरा है कि लड़का और लड़की एक ही गोत्र में विवाह नहीं कर सकते हैं।

आधुनिक समय में लोग अब ज्‍यादा इन बातों को नहीं मानते हैं लेकिन गरुड़ पुराण के साथ-साथ कई अनेक ग्रंथों में इस बात का वर्णन किया गया है कि लड़का और लड़की को एक ही गोत्र में विवाह नहीं करना चाहिए।

गरुड़ पुराण के अनुसार एक ही गोत्र में शादी करने से वैवाहिक जीवन में निम्‍न परेशानियां आती हैं।

– कई शोधों में ये बात सामने आ चुकी है कि व्‍यक्‍ति को जेनेटिक बीमारी ना हो इसके लिए एक ईलाज है  ‘सेप्रेशन ऑफ जींस’ यानि अपने किसी नज़दीकी रिश्‍तेदार में विवाह नहीं करना है।

– कहा जाता है कि एक ही गोत्र में शादी करने वाले कपल्‍स के बच्‍चों में आनुवांशिक बीमारियों का खतरा ज्‍यादा रहता है। ऐसे बच्‍चों में कलर ब्‍लाईंडनेस की संभावना रहती है।

– ऐसी दंपत्ति की संतान में एक ही विचारधारा, पसंद, व्‍यवहार इत्‍यादि में किसी भी तरह का नयापन नहीं रह जाता है। इन बच्‍चों में नकारात्‍मकता की कमी रहती है। इनका मानसिक विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाता है।

– एक ही गोत्र में विवाह करने पर दंपत्ति की संतान को आनुवांशिक बीमारियां जैसे मा‍नसिक रोग, अपंगता या कोई और गंभीर रोग होने की आशंका रहती है।

इन कारणों से शास्‍त्रों में एक ही गोत्र में विवाह करने की मनाही है। कहा जाता है कि वर और कन्‍या के एक ही गोत्र में विवाह करने से उनकी संतान स्‍वस्‍थ नहीं होती है एवं उसे कोई ना कोई कष्‍ट झेलना ही पड़ता है।

ज्‍योतिष में भी ऐसे विवाह को अस्‍वीकार किया गया है। इसके अलावा विवाह में गण मिलान भी किया जाता है। ज्‍योतिष के अनुसार गण मिलान के आधार पर ही वर कन्‍या का वैवाहिक जीवन निर्भर करता है।

हिंदू धर्म में गोत्र, गण मिलान इत्‍यादि काफी महत्‍वपूर्ण होता है। विवाह से पूर्व इन चीज़ों का ध्‍यान रखना आवश्‍यक माना जाता है।

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