आशीर्वाद

इसलिए कलयुग में बड़ों को नहीं देना चाहिए अपने छोटों को आशीर्वाद क्योकि

हम सभी सुबह से शाम तक ना जाने कितनी बार अपने छोटे लोगों को आशीर्वाद देते रहते हैं. पिता अपने पुत्र को आशीर्वाद देता है तो माँ अपनी बेटी को लम्बी उम्र का आशीर्वाद देती हैं. भाई अपने छोटे भाई को आशीर्वाद देता दिखता है लेकिन आज हम आपको बता दें कि हम बड़े हैं और यदि हम धर्म के अनुसार आचरण नहीं करते हैं तो हमारा आशीर्वाद कभी भी श्राप बन सकता है.

आपने अगर कभी रामायण का पाठ किया तो आप यहाँ देखेंगे कि रावण कभी किसी को आशीर्वाद नहीं देता है. रावण लोगों को सावधान करता है और सामर्थ के अनुसार लोगों की मदद करता है किन्तु वह लोगों को आशीर्वाद नहीं देता था. वहीं दूसरी तरफ भगवान राम अपने प्रिय और छोटों को आशीर्वाद देते थे. तो आइये आज हम आपको बताते हैं किस तरह के लोगों को छोटो को आशीर्वाद नहीं देना चाहिए-

1. जो लोग दूसरों का बुरा करते हैं

जो लोग गरीबों के साथ अन्याय करते हैं या दूसरों का हक़ मारते हैं उनका आशीर्वाद जहर के समान होता है इस तरह के लोगों से आशीर्वाद मिलने पर उनके अपने कभी तरक्की नहीं करते हैं. समाज में इसके उदाहरण कुछ असामाजिक तत्वों के बच्चे होते हैं जो बहुत ही कम सफल आदमी बन पाते हैं.

2. जो लोग दूसरों की तरक्की से जलते हैं

अब जो लोग दूसरों की तरक्की से जलते हैं उनको कभी किसी को आशीर्वाद नहीं देना चाहिए और ना ही इस तरह के व्यक्ति के पास आशीर्वाद लेने जाना चाहिए क्योकि अगर यह लोग आशीर्वाद देते हैं तो वह भी श्राप का काम करता है.

3. जो लोग रिश्तों में सही नहीं होते हैं

जो लोग रिश्तों में सही नहीं होते हैं अर्थात जिन्होनें अपने माँ-बाप का आदर नहीं किया होता है या जो लोग भगवान के बनाये रिश्तों में सही नहीं होते हैं उनको भी दूसरों को आशीर्वाद नहीं देना चाहिए.

4. जो लोग कामवासना से ग्रसित हैं

अर्थात जिन लोगों के मन में सदा कामवासना चलती रहती है वह लोग कभी भी भूलकर अपने छोटों या अपने बच्चों को आशीर्वाद ना दें. इस तरह के लोग जब बच्चों को आशीर्वाद देते हैं तब उनकी नकारात्मक शक्ति अपने लोगों में जा रही होती है.5

5. जिनका आचरण धर्म के अनुसार ना हो

जिन लोगों का आचरण धार्मिक ना हो उन लोगों से आशीर्वाद लेने से जरा बचना चाहिए. यह लोग आशीर्वाद तो कम देते हैं किन्तु श्राप अधिक देते हैं. इन लोगों को यह पता नहीं होता है कि किसके लिए क्या बोलना है और आशीर्वाद देते समय गलत शब्दों का इन प्रयोग बच्चों के लिए श्राप बन सकता है.

अतः आशीर्वाद वहीँ व्यक्ति दे सकता है जो सांसारिक मोह से दूर हो और जिसका अंतर मन गंगा जल की तरह पवित्र हो. आशीर्वाद अगर देना है तो सच्चे संत हिन् दें क्योकि इन्हीं लोगों का आशीर्वाद फल सकता है.

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