कुंडली राजयोग

कुंडली के यह योग बना देते हैं व्यक्ति को राजा- राजयोग

राजयोग- ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार किसी भी व्‍यक्‍ति के जीवन में सुख और समृद्धि उसकी कुंडली के नौंवे और दसवें भाव पर निर्भर करती है. कुंडली का नौवा भाव भाग्‍य का स्‍थान और दसवां भाव कर्म का भाव होता है. यानि की नवम भाव आपके भाग्‍य और दशम भाव आपके कर्म को निर्धारित करता है. कहते हैं कि अच्‍छे कर्मों से ही भाग्‍य बनता है.

अगर किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में नवम और दसवें भाव में कोई शुभ ग्रह विराजमान हो तो उस व्‍यक्‍ति की कुंडली में राजयोग बनता है.

राजयोग

क्‍या है राजयोग

यदि किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में राजयोग बनता है तो वह व्‍यक्‍ति राजाओं के समान जीवन व्‍यतीत करता है. राजाओं की तरह उस व्‍यक्‍ति का जीवन सुख और समृद्धि से परिपूर्ण रहता है.

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार जिस कुंडली में राजयोग बनता है वह व्‍यक्‍ति किसी ऊंचे पद पर पहुंचता है. वह उच्‍च स्‍तर का राजनेता, मंत्रीया अधिकारी बनता है. उसे समाज और अपने कार्यस्‍थल पर खूब मान-सम्‍मान मिलता है.

कुंडली में राजयोग बन रहा है या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए लग्‍न राशि को आधार बनाया जाता है. तो आइए आपकी लग्‍न राशि से जानते हैं कि आपकी कुंडली में राजयोग बन रहा है या नहीं.

 

मेष लग्‍न -: मेष राशि का स्‍वामी मंगल है और मंगल का बृहस्‍पति के साथ मैत्री संबंध है. इस प्रकार अगर मेष लग्‍न की कुंडली के नवम और दसवें भाव में एकसाथ गुरु और मंगल विराजमान हों तो उस स्थिति में कुंडली में राजयोग का निर्माण होता है.

वृषभ लग्‍न -: वृषभ राशि का स्‍वामी ग्रह शुक्र है और वृषभ लग्‍न की कुंडली में दसवें और नौवें भाव में शुक्र के साथ शनि की उपस्थिति भी राजयोग बनाती है. वृषभ लग्‍न की कुंडली में बन रहे राजयोग में शनि महत्‍वपूर्ण होता है.

मिथुन लग्‍न -:  बुध ग्रह, मिथुन राशि का स्‍वामी है और राजयोग का निर्माण करने के लिए मिथुन लग्‍न की कुंडली में दसवें और नौंवे भाव में बुध के साथ शनि विराजमान होना चाहिए.

कर्क लग्‍न -: यदि किसी कर्क लग्‍न की कुंडली में दसवें और नौवे भाव में गुरु और चंदमा बैठे हों तो ऐसी स्थिति में यह केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण करता है. कर्क लग्‍न के जातकों को चंद्रमा और गुरु से शुभ फल प्राप्‍त होते हैं.

सिंह लग्‍न -: सिंह राशि का स्‍वामी सूर्य है और अगर सिंह लग्‍न की कुंडली के भाग्‍य एंव कर्म स्‍थान में सूर्य और मंगल बैठे हों तो उस जातक की कुंडली में राजयोग बनता है. ऐसा व्‍यक्‍ति अपना पूरा जीवन राजाओं की तरह बिताता है.

कन्‍या लग्‍न -: कन्‍या लग्‍न का स्‍वामी बुध है एवं कुंडली के नौवें और दसवें भाव में बुध और शुक्र के विराजमान होने पर उस व्‍यक्‍ति की कुंडली में राजयोग बनता है.

तुला लग्‍न -:  तुला राशि का स्‍वामी शुक्र है. शुक्र ग्रह तो वैसे ही सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं. अगर तुला लग्‍न की कुंडली के दसवें और नौवें भाव में शुक्र और बुध बैठे हो तो उस व्‍यक्‍ति को अपने जीवन में राजाओं जैसा का सुख मिलता है.

वृश्चिक लग्‍न -: यदि वृश्चिक लग्‍न की कुंडली में सूर्य और मंगल भाग्‍य और कर्म भाव में विराजमान हों तो उस कुंडली में राजयोग बनता है.

धनु लग्‍न -: धनु लग्‍न की कुंडली में गुरु और सूर्य के दसवें और नौंवे भाव में बैठने पर राजयोग का निर्माण होता है.

मकर लग्‍न -: अगर कुंडली में लग्‍न स्‍थान में मकर राशि है और नौवें और दसवें भाव में शनि और बुध की युति हो रही है तो उस कुंडली में राजयोग बनता है.

कुंभ लग्‍न -: कुंभ लग्‍न की कुंडली में शुक्र और शनि राजयोग के कारक हैं. इन दोनों ग्रहों के भाग्‍य और कर्म स्‍थान में होने पर राजयोग बन पाता है.

मीन राशि -: मीन राशि का स्‍वामी गुरु है और कुंडली के नौवे और दसवें भाव में गुरु और मंगल के उपस्थित होने पर राजयोग बनता है. ऐसा व्‍यक्‍ति किसी राजा से कम नहीं होता है.

तो अब आप स्‍वयं देख सकते हैं कि क्‍या आपकी कुंडली में राजयोग बन रहा है या नहीं.

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