भगवान के ध्यान और जप के दौरान

भगवान के सामने जप करते समय ये पांच गलतियाँ माफी के लायक नहीं !

भगवान के ध्यान और जप के दौरान – भगवान को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के मंत्रों का जप करते हैं. हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों में भी कई तरह के वैदिक और पौराणिक मंत्रों का उल्लेख मिलता है जिसके निरंतर जप से इंसान अपने लक्ष्यों की पूर्ति सरलता से कर सकता है.

देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के साथ-साथ उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए जप को सबसे आसान तरीका माना जाता है. लेकिन जप करते समय विधि-विधान का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है.

इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं उन पांच गलतियों के बारे में, भगवान के ध्यान और जप के दौरान हो जाती है तो वो माफी के लायक नहीं होती है.

भगवान के ध्यान और जप के दौरान –

1- छींकना या खांसना

भगवान के सामने बैठकर जप करते वक्त छींकने या खांसने की गलती नहीं करनी चाहिए. अगर जप करते समय छींक या खांसी आ ही जाए तो फिर से हाथ-मुंह धोकर भगवान के सामने बैठकर दोबारा जप शुरू करना चाहिए.

मान्यता है कि भगवान के सामने ध्यान और जप करते वक्त छींकने से मुंह अपवित्र हो जाता है और अपवित्र मुंह से भगवान का नाम लेना शास्त्रों में वर्जित माना गया है.

2– थूकना नहीं चाहिए

व्यक्ति जब थूकता है तो इसके जरिए वो अपने शरीर की गंदगी को बाहर निकालता है. इसलिए देवी-देवताओं के जप के समय थूकना नहीं चाहिए.

अगर किसी कारण से आपको थूकना पड़ जाए तो फिर आपको दोबारा नहाने के बाद ही फिर से भगवान के सामने पूजा और जप के लिए बैठना चाहिए.

3– उबासी लेना है गलत

जो व्यक्ति सुबह उठने के बाद भी उबासी या जंभाई लेता रहता है या फिर नींद की हालत में ही रहता है तो ऐसे में उसे भगवान की पूजा-अर्चना नहीं करनी चाहिए.

शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी उठकर स्नान कर, आलस्य और नींद को दूर भगाने के बाद ही भगवान का जप करना चाहिए, नहीं तो चाहे जितने जप कर लीजिए उसके फलित होने की गुंजाइश ना के बराबर होती है.

4– बात-बात पर गुस्सा होना

अगर आपको बात-बात पर या बेवजह गुस्सा होने की आदत है तो फिर आपको अपनी यह आदत सुधारनी होगी क्योंकि क्रोधी इंसान भगवान के जप में मन नहीं लगा सकता.

देवी-देवताओं की पूजा के लिए मन का शांत और एकाग्र होना बेहद जरूरी है. इसलिए भगवान की पूजा या जप करने से पहले मन से क्रोध, हिंसा और लालच के भाव को पूरी तरह से निकाल देना चाहिए.

5– नशा है महापाप

जो व्यक्ति भगवान का ध्यान और जप करते समय नशे के बारे में सोचता है उसे महापाप माना जाता है. पुराणों में नशा करनेवाले इंसान को राक्षस के समान माना जाता है. इसलिए भगवान की पूजा से पहले इंसान का तन और मन दोनों से शुद्ध होना बेहद जरूरी है.

गौरतलब है कि भगवान के ध्यान और जप के दौरान इन पांच वर्जित कामों से कोई भी काम आपके द्वारा हो जाता है, तो ऐसे में ना तो आपको आपके जप का फल मिलेगा और ना ही भगवान की कृपा.

 

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